20100913






























आओ कुछ कदम और चलें,
भरने उन बादलों को अपनी मुट्ठियों में,
उस चिनार की गीली होती झुर्रियों को celluloid में उतारने |

उस फैलती सफ़ेद चादर में खुद को लपेटने,
नंगे पैर उस हरी काई पर उड़ने |

आओ कुछ कदम और चलें,
उस खाली पिंजरे में कुछ खुशियाँ छिपाने,
उस सूखे लालटेन को धुंध से जलाने |
उन ठुकराए घोसलों में एक आशियाँ बसने |

आओ कुछ कदम और चलें,
उस वीराने को कुछ कहानियाँ और सुनाने |